बॉलीवुड में गैंगवॉर वाली फिल्में लंबे समय से बनती आ रही है। 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से लेकर 'मिर्जापुर' जैसी फिल्में और वेब सीरीज इसके उदाहरण हैं। ऐसा बेहतरीन सिनेमा को देखने के बाद इस जॉनर की फिल्में बनाना और कठिन हो जाता है। एक फिल्ममेकर को सीधे सीधे ऐसी फिल्मों से टक्कर लेनी पड़ेगी और इससे बेहतर कुछ बनाना होगा ताकि दर्शक आपके प्रोजेक्ट को पसंद करें। अब इसी राह में जिम्मी शेरगिल अपनी नई फिल्म लेकर आए हैं 'आजम'। जो कि एक क्राइम और थ्रिलर फिल्म है। जहां कई डॉन के बीच गद्दी को लेकर खूनी लड़ाई होती है। तो चलिए बताते हैं 'आजम' का रिव्यू।
'आजम' की कहानी (Aazam Story)जिम्मी शेरगिल, अभिमन्यु सिंह, इंद्रनील सेनगुप्ता, रजा मुराद, संजीव त्यागी, गोविंद महादेव, अली खान से लेकर अनंग देसाई जैसे स्टार्स से सजी 'आजम' सिर्फ एक रात की कहानी है। फिल्म की शुरुआत होती है एक खुलासे के साथ। 'कादर देखो, ये समय का खेल है। वो हमें मारे, उससे पहले हमको उन्हें मार गिराना होगा...' ये बात जावेद (जिम्मी शेरगिल) कादर (अभिमन्यू सिंह) से कहता है। वह उसे बताता है कि उसके साथियों ने मिलकर उन्हें मारने और गद्दी हड़पने का प्लान बनाया है। इसके बाद खूनी खेल शुरू होता है। 2 घंटे 15 मिनट के कहानी में सिर्फ एक रात के अंदर सब पलट जाता है। आप जान पाएंगे कि आखिर डॉन के बीच इस लड़ाई में किसकी जीत होती है? कौन आखिर डॉन बन पाता है?
'आजम' रिव्यू (Aazam Movie Review)'आजम' (Aazam Movie) के डायरेक्शन और लेखन की बात करें तो इन सबकी कमान संभाली थी श्रवण तिवारी ने। उन्होंने ही इसे डायरेक्ट किया, लेखा, डायलॉग लिखे और कहानी भी उन्हीं की थी। लेकिन वह अपने आइडिया में कहीं खोते नजर आए। वैसे तो ये उनका पहला बड़ा प्रोजेक्ट था। इससे पहले वह अतुल कुलकर्णी और दिव्या दत्ता की '706' और The Advocate and The Tattoo Murders का डायरेक्शन करते दिखे थे। इस बार भी वह 'आजम' के जरिए थ्रिलर और क्राइम ड्रामा लेकर हाजिर हुए। लेकिन इस बार उनकी कोशिश विफल होती दिखी है। एक ही रात में जो कहानी उन्होंने बनाने की कोशिश की वो पर्दे पर निखर कर नहीं आ पाती है।
'आजम' एक गैंगवॉर वाली फिल्म है। इसकी कहानी और कॉन्सैप्ट बढ़िया है। सस्पेंस भी जबरदस्त है। फिल्म जब आप देखना शुरू करते हो और जो समझ रहे होते हो, वैसा फिल्म में कुछ होता ही नहीं है। ये बात आपको रोचक लगती है। लेकिन आपको कुछ मिनट के बाद ही झटका लगता है। पूरी फिल्म पलट जाती है। इसी के साथ फिल्म की सारी पोल भी खोल जाती है। धीरे धीरे फिल्म उबाऊ होने लगती है। सबसे बड़ी कमी इसके दृश्यों में थीं। इसकी एडिटिंग और विजुअल्स इस फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है। वीएफएक्स बहुत ही सस्ते से लगते हैं। एक आम दर्शक भी आसानी से समझ जाता है कि बस क्रोमा पर इसे ज्यादातर शूट किया गया है। फिल्म देखने के बाद ऐसा भी गलता है जैसे जल्दबाजी में इसे बनाया गया हो। डायरेक्टर मजबूत स्टारकास्ट का भी फायदा नहीं उठा पाते हैं।
एक्टिंग ने जैसे तैसे संभालाडायरेक्टर ने स्टारकास्ट अच्छी चुनी। सभी अपने अपने रोल में जम रहे थे। जिम्मी शेरगिल तो हर बार की तरह इस बार भी अच्छे लग रहे थे। जहां उन्हें भोला सा दिखना था, वह लगे और जहां उन्हें शातिर दिखना था वह वो भी लगे। मगर उनका इस्तेमाल थोड़ा और बेहतर तरीके से किया जा सकता था। वहीं अभिमन्यू, इंद्रनील से लेकर गोविंद महादेव भी डॉन के रूप में सही लगते हैं।
2023-05-26T08:10:03Z dg43tfdfdgfd