PARINEETI CHOPRA PREGNANCY RUMORS: पड़ोस की भाभी से लेकर ऑफिस वालों तक, आखिर शादी के बाद प्रेग्नेंसी को लेकर इतना उत्सुक क्यों होता है समाज?

'अरे परिणीति चोपड़ा की लेटेस्ट फोटो देखी? चाल-ढाल से तो लग रहा है कि प्रेग्नेंट है...' जरा दिल पर हाथ रखकर सच-सच बताइए कि ऐसा गॉसिप आपने कितनी बार किया होगा? बॉलीवुड एक्टर्स की प्रेग्नेंसी को लेकर गाहे-बगाहे कुछ ना कुछ सुनने में आ ही जाता है। इधर किसी की शादी हुई और उधर उसकी प्रेग्नेंसी के रूमर्स आने शुरू हो गए। हाल ही में परिणीति चोपड़ा के साथ भी ऐसा ही हुआ। उनके कुछ लेटेस्ट लुक्स में ढीले कपड़े थे तो लोगों को लगा कि वो प्रेग्नेंट हो गई हैं। अब मौसम बदल रहा है, हो सकता है कि बंदा अपनी फैशन च्वाइस के चलते या आराम के चलते ऐसे लुक्स में हो, लेकिन भला सोशल मीडिया के धुरंधरों को कैसे समझाया जाए। 

खैर, परिणीति ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक स्टोरी शेयर की जिसमें उन्होंने अपने इरादे साफ कर दिए। समाज की सोच पर व्यंग कसते हुए उन्होंने लिखा काफतान ड्रेस= प्रेग्नेंसी, ओवरसाइज्ड शर्ट= प्रेग्नेंसी, कंफी इंडियन कुर्ता= प्रेग्नेंसी...

सच तो यही है कि जहां एक ओर शादी से पहले यही सवाल होता है कि आखिर लड़की की शादी कब होगी वहीं दूसरी ओर शादी के बाद हर कोई सिर्फ उसकी प्रेग्नेंसी में इंटरेस्टेड रहता है। शादी के बाद ना जाने आपका कौन सा शुभचिंतक आकर पूछ ले 'बताओ गुड न्यूज कब दे रही हो?' किसी पड़ोस वाली भाभी से पूछिए जिसकी शादी कुछ समय पहले ही हुई हो, उसे ना जाने कितनी बार यह सुनने को मिलता है कि अब गुड न्यूज दे दो। 

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लड़कियों का कंफर्टेबल फैशन भी शादी के बाद बन जाता है दुश्मन

अभी तक कितनी एक्ट्रेसेस की प्रेग्नेंसी रूमर्स आई हैं? कुछ समय पहले कैटरीना कैफ की प्रेग्नेंसी को लेकर खबरें आई थीं क्योंकि उन्होंने एक बेज रंग का कुर्ता पहना था जिसमें उनका फिगर पूरी तरह से नहीं दिख रहा था। ऐश्वर्या के कान्स रेड कार्पेट लुक को भी लोगों ने कटघरे में खड़ा कर दिया था क्योंकि उनके पेट में बल्ज दिख रहा था। 

अब इस घटना से तो यही लगता है कि एक्ट्रेसेस के लिए कंफर्टेबल कपड़े पहनना गलत है। उन्हें तो अपना फिगर दिखाना चाहिए क्योंकि उनका काम तो बार्बी की तरह सजकर बैठ जाना है। यह सोच कई बार चिंताजनक लगती है क्योंकि फैशन का मतलब सिर्फ फिगर हगिंग कपड़े ही नहीं हो सकता। ऐसे तो शादी के बाद अगर कोई भी लड़की ढीले कपड़े पहने, तो उसका मतलब वो प्रेग्नेंट ही है। अरे भई महिला का शरीर अपना है और उसका शेप में रहना या ना रहना उसकी पर्सनल च्वाइस हो सकती है। खुद भी जिओ और उसे भी जीने दो। 

शादी के बाद आखिर क्यों लड़की की चाल-ढाल पर होती है सबकी नजरें?

परिणीति चोपड़ा की खबरों को लेकर बात की कर रही थी कि मेरी एक दोस्त ने अपना एक्सपीरियंस भी शेयर कर दिया। उसने कहा, 'शादी के 6 महीने भी नहीं बीते थे कि सबकी नजर मेरी चाल-ढाल और बढ़ते हुए वजन पर रहती थी...अक्सर किसी भी पार्टी या फैमिली गेट टु गेदर में रिश्तेदारों का ये सवाल होता था कि कोई गुड न्यूज़ है क्या? मुझे बस यही लगता था कि अब क्या मैं खाने पीने की वजह से मोटी भी नहीं हो सकती? मेरी सासु मां तो हर महीने मेरे पीरियड्स आने पर नाराज हो जाती थीं और थोड़ी देर तक बात नहीं करती थीं, मेरे कई बार पूछने पर पता वो बोलती थीं कि पता नहीं क्या है आज कल की लड़कियां बच्चों के बारे में सोचती ही नहीं हैं....तुम्हारी जेठानी ने तो शादी के तुरंत बाद ही गुड न्यूज़ दे दी थी... कुछ समस्या है तो डॉक्टर को दिखा लो।'

क्या बच्चे करना या ना करना सिर्फ लड़की का फैसला है और लड़के इस मामले में भी बेचारे ही हैं? क्या शादी के बाद हम थोड़ा समय एक-दूसरे को समझने के लिए नहीं दे सकते? अगर किसी हेल्थ इशू की वजह से बच्चे होने में देर हो भी रही है तो समस्या पति और पत्नी किसी को भी हो सकती है। ऐसा लगता है कि समाज की सोच शादी के बाद बच्चे और बच्चों के बाद उनकी शादी तक ही सीमित रह गई है। 

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ये तो था एक किस्सा, लेकिन मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि आप अपने आस-पास मौजूद शादीशुदा महिलाओं से अगर इस मुद्दे पर पूछेंगे, तो सामने यही आएगा कि ना जाने कितनी बार उन्होंने ये सब सुना है। 

अब सामाजिक मापदंडों के हिसाब से देखा जाए, तो शादी के पहले लड़की का उद्देश्य होना चाहिए एक अच्छा पति ढूंढ कर सैटल हो जाना क्योंकि उसके अपने एक्सपीरियंस तो मायने नहीं रखते और शादी के बाद उसका एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए कि अब वो खानदान को चिराग दे दे। अगर किसी की नई-नई शादी हुई है तब तो उसे तरह-तरह की सलाह मिलती हैं। शादी दो लोगों की होती है, लेकिन द ग्रेट इंडियन सोसाइटी की सोच तो लड़कियों तक ही सीमित होती है। एक लड़की के लिए नई शादी में एडजस्ट करना ही बहुत मुश्किल होता है, उसपर अपना कैरियर और जिंदगी ढर्रे पर लाने में समय लग जाता है। फिर अपने पार्टनर को समझने और उसके साथ सामंजस्य बैठाने में भी समय लगता है फिर कैसे यह उम्मीद कर ली जाती है कि वो शादी के तुरंत बाद बच्चे के लिए तैयार होगी।  

चाहे लोग कितनी भी सलाह दे दें बच्चा एक बहुत बड़ा कमिटमेंट होता है और इसे कब करना चाहिए और कब नहीं यह फैसला पति-पत्नी दोनों का होना चाहिए। फिर भले ही समाज लड़की के पहनावे को देखकर गुड न्यूज की बात करे या फिर लड़की के खुले विचारों को देखकर बच्चा करने की सलाह दे।  

क्या आपका भी इस मामले में कोई एक्सपीरियंस या फिर राय है? हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से। 

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