ALMOST PYAAR WITH DJ MOHABBAT REVIEW: अनुराग बस विषय में ही है, निर्देशन से लापता दिखे कश्यप

अनुराग कश्यप नाम से हाल ही में एक हिंदी फिल्म का एलान हुआ है तो समझ सकते हैं कि इस नाम में कितना वजन है। हिंदी सिनेमा के शौकीनों ने कभी उन्हें देसी ‘क्वैंटिन टैरिंटिनो’ तक मान लिया। उस दौर के फैन बॉय फिल्म पत्रकारों ने अनुराग के खूब अनुराग दिखाया और फिर ऐसा भी समय आया कि इनमें से अधिकतर फैनबॉय किसी न किसी प्रोडक्शन हाउस में नौकरी पा गए। इधर अनुराग वहीं बने रहे, हर फिल्म से उनको एक नई कसौटी पर कसने वालों के बीच। कुल मिलाकर लब्बोलुआब ये है कि वह अपनी चमक और दमक दोनों खोते जा रहे हैं। अनुराग कश्यप ने फिर एक बार एक ऐसी फिल्म 'ऑलमोस्ट प्यार विद डीजे मोहब्बत' दर्शको के सामने परोस दी है जो विचार के मामले में कमाल लगती है लेकिन देखने बैठो तो इम्तियाज अली की कार्तिक आर्यन स्टारर ‘लव आजकल’ से भी गई बीती लगती है।

फिल्म 'ऑलमोस्ट प्यार विद डीजे मोहब्बत' की कहानी दो कालखंडों में समांतर चलती है और दोनो जगह घटनाएं भी लगभग एक जैसी ही होती है। इन दो कहानियों की बीच की कड़ी बने है विक्की कौशल, जो फिल्म में डीजे मोहब्बत का किरदार निभा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के डलहौजी और ब्रिटेन के लंदन की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में अलाया एफ और करण मेहता फिल्म में दोहरी भूमिका में है। डलहौजी की कहानी अलाया एफ के किरदार अमृता और करण मेहता के किरदार याकूब के इर्द गिर्द घूमती है। लंदन की कहानी में अलाया एफ और करण मेहता के किरदार आयशा और हरमीत हैं। उलझते उलझते कहानी आगे बढ़ती है और मुद्दा लव जेहाद तक पहुंच जाता है। समझ ये नहीं आता कि अनुराग ने ये फिल्म लव जेहाद के मसले पर बनाई है या एक ऐसी मोहब्बत के बारे में जिसे समझने में वह खुद भी अब तक विफल ही रहे हैं। फिल्म में जिस तरह से अमृता कहती है, ‘हम क्या कर रहे हैं? बस भटक रहे हैं। हमारे पास कोई योजना नहीं है, कोई पैसा नहीं है, और कोई उद्देश्य नहीं है!’ कुछ कुछ वैसी ही ये फिल्म है।

'ऑलमोस्ट प्यार विद डीजे मोहब्बत' के ट्रेलर लांच पर फिल्म के लेखक, निर्देशक अनुराग कश्यप ने कहा था कि आज की युवा पीढ़ी में प्यार के मायने बदल गए हैं। हमारे जमाने में तो लड़का और लड़की खुल के एक दूसरे से बात करने में शर्माते थे लेकिन, अब जमाना बदल गया है। लड़के लड़कियां अब खुलकर अपने प्यार मोहब्बत के बारे में बातें करते हैं। यह फिल्म आज के परिवेश में बनाई है। जहां लड़के और लड़की को अपनी सोच के मुताबिक आगे बढ़ने का हक है। लेकिन सोच कितनी भी आधुनिक क्यों ना हो जाए, पारिवारिक मूल्यों की बात आज भी की जाती है। रिश्तों को ताक पर रखकर ना तो जिंदगी में लिया गया कोई फैसला ठीक होता है और ना ही प्यार परवान चढ़ता है।

परफॉर्मेंस की बात करें तो अलाया एफ ने फिर एक बार कोशिश तो खूब की है लेकिन बात बनती नजर नहीं आई। 'जवानी जानेमन' और 'फ्रेडी' के बाद उनकी ये तीसरी फिल्म है जिसमें उनको मौका बड़ा मिला है लेकिन किरदार बहुत कमजोर। करण मेहता की ये डेब्यू फिल्म है। फिल्म में उन्होंने भी दोहरी भूमिका निभाई है। लेकिन किरदार एक भी वह ढंग से नहीं कर पाए। विक्की कौशल इस फिल्म में अनुराग कश्यप का ट्रंप कार्ड हैं लेकिन मामला जोकर जैसा हो जाता है, जिस पर दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचकर लाने का जिम्मा है, वह कलाकार और उसका किरदार दोनों फिल्म की मदद नहीं करते। हां, फिल्म में अमित त्रिवेदी के संगीत निर्देशन में बने 'घनघोर कनेक्शन' और 'मोहब्बत से क्रांति' ही हैं जो पूरा समय सीट पर बैठे रहने की हिम्मत देते रहते हैं।

2023-02-03T05:30:37Z dg43tfdfdgfd