हाल ही में अरविंद केजरीवाल का जेल जाने का मामला विवादों में छाया हुआ है। कुछ लोग अरविंद केजरीवाल के मामले को अर्श से फर्श से जोड़कर भी देख रहे हैं। केजरीवाल कभी आयकर आयुक्त कार्यालय रेवन्यू ऑफिसर हुआ करते थे। इसके कुछ सालों बाद अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम शुरू की। अन्ना हजारे आंदोलन का प्रमुख चेहरा बने केजरीवाल ने 2012 में अपनी राजनीतिक पार्टी बना ली। इसके बाद कई नाटकीय घटनाक्रमों के बाद अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने। कभी भ्रष्टाचार से लड़ने वाले केजरीवाल आज खुद भ्रष्टाचार के आरोप में अरविंद केजरीवाल जेल में हैं। इससे पहले भी कई नेता, बॉलीवुड सेलिब्रिटीज सफलता की बुलंदियों पर पहुंचने के बाद जेल जा चुके हैं। इन घटनाओं को ज्योतिष के नजरिए से देखें, तो इसे राजयोग से बंधन योग तक का सफर कहा जा सकता है। आइए, जानते हैं ज्योतिष शास्त्र में बंधन योग क्या होता है और किन ग्रहों की वजह से बनता है कारावास योग। बंधन योग क्या है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर कुंडली में दूसरे, पांचवे और नौंवे भाव में कोई पीड़ित ग्रह मौजूद होता है, तो किसी व्यक्ति की कुंडली में बंधन योग का निर्माण होता है। इससे कारावास में जाने की आशंका कहीं ज्यादा बढ़ जाती है। वहीं, व्यक्ति के जीवन में तनाव भी बढ़ जाता है। वहीं, जब नकारात्मक ग्रह बारहवें भाव में आकर विराजमान हो जाते हैं और कुंडली में शनि पीड़ित दशा में हो, तो भी बंधन योग बनता है।
ये भी हैं बंधन योग के उदाहरण
सबसे पहले तो इस बात को समझ लेना चाहिए कि बंधन योग का अर्थ सिर्फ जेल या कारावास में जाना नहीं होता है बल्कि किसी भी तरह का अलगाव, मानसिक-शारीरिक परेशानी भी बंधन योग के और भी हिस्से हैं। कई बार व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की बातों में इस तरह फंस जाता है कि वे अपना कोई निष्पक्ष फैसला नहीं ले पाता, इसे भी बंधन योग की श्रेणी में ही रखा जाता है। वहीं, नशे की लत, अपराध आदि में फंसे रहना भी बंधन योग का उदाहरण है।
इन ग्रहों के कारण बनता है कारावास योग
राहु ग्रह छाया ग्रह भी माना जाता है। जब कुंडली में राहु का साया मंडराने लगता है, तो व्यक्ति सोच-समझकर फैसले नहीं लेता। व्यक्ति अक्सर अंहकार में आकर अपने फैसले करता है। आप इस बात को इस तरह भी समझ सकते हैं कि कुंडली में राहु का प्रभाव होने से व्यक्ति प्रैक्टिकल होकर नहीं सोच पाता है।
कुंडली में इन ग्रहों की स्थिति भी रखती है महत्व
कुंडली में केवल किसी ग्रह के मौजूद होने से ही कारावास योग नहीं बनता बल्कि व्यक्ति विशेष की कुंडली के अन्य कारक और ग्रहों की स्थितियां भी इस योग के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। राहु, मंगल और शनि भी वे ग्रह हैं जिनकी स्थितियां और प्रभाव कारावास जाने के योग बनाते हैं।
शनि और मंगल का विशेष प्रभावशनि ग्रह को न्याय का देवता माना जाता है। शनि की साढ़े साती और शनि की ढैया के कारण भी किसी व्यक्ति को भंयकर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। इसमें मान-सम्मान पर ठेस लगना, जेल जाना जैसी चीजें भी शामिल हैं। वहीं, मंगल ग्रह को युद्धों का ग्रह माना जाता है। मंगल को काफी क्रोधित ग्रह भी माना जाता है। ऐसे में जब व्यक्ति के जीवन में मंगल शुभ प्रभाव नहीं देता, तो व्यक्ति अंहकार और हिस्से में आकर गलत फैसले ले लेता है, जिससे कि कारावास योग भी बनता है।