MAMTA KULKARNI : 'दिन में व्रत और रात में ताज में 2 पैग', ममता कुलकर्णी ने बताई संन्यास के पीछे की सच्चाई

90 के दशक में जब ममता कुलकर्णी ने बॉलीवुड में एंट्री की तो उन्होंने अपनी खूबसूरती और एक्टिंग से दर्शकों के दिलों पर राज किया. हालांकि, आज वह आध्यात्म की राह पर आ गई हैं. इसके बावजूद विवाद उनका पीछा नहीं छोड़ रहे हैं. 2025 के महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि दी, लेकिन वह केवल 7 दिनों तक ही इस पद पर रहीं. कुछ साधुओं द्वारा उनकी नियुक्ति का विरोध करने के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था.

साध्वी बनने का सफर और पुरानी यादें

हाल ही में एक इंटरव्यू में ममता कुलकर्णी ने अपने साध्वी जीवन के सफर के बारे में बताया. उन्होंने कहा, पिछले 23 वर्षों में कोई एडल्ट फिल्म नहीं देखी है, लेकिन उन्हें अपने बॉलीवुड दिनों के दौरान नवरात्रि के दौरान '2 पैग' पीने की बात भी याद आई. जब ममता से पूछा गया, ''आप नवरात्रि के दौरान व्रत रखती हैं और रात में ताज होटल में दो पेग स्कॉच पीती हैं?''

फिर उन्होंने कहा, ''1997 में मेरे जीवन में मेरे गुरु का आगमन हुआ. उस वक्त मैं बॉलीवुड में काम कर रही थी. शूटिंग पर जाते समय मेरे पास तीन बैग होते थे.

एक कपड़े के लिए, एक मंदिर के लिए. मेरे कमरे में मेज पर मेरा मंदिर होता था और मैं पूजा किए बिना सेट पर नहीं जाती थी.''

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ताज होटल में नवरात्रि व्रत और कार्यक्रम

ममता आगे कहती हैं, ''मैं बड़ी श्रद्धा से नवरात्रि मनाती थी. मैंने 9 दिन तक व्रत रखने और सुबह, दोपहर और शाम को तीन बार हवन करने का संकल्प लिया था. मैंने 36 किलो चंदन की लकड़ी से यज्ञ किया. उस दौरान मेरे फैशन डिजाइनर कहते थे- 'ममता, आप बहुत सीरियस हो गई हैं, अब आराम करो!'वहां जाकर ममता ने स्कॉच के दो पैग ले लिए, लेकिन व्रत का असर उन पर तुरंत हो गया.

सिर पर चढ़ गई थी शराब

उन्होंने कहा, 'दो पैग लेने के बाद मुझे ऐसा लगा कि सारी शराब मेरे सिर पर चढ़ गई है. मैं वॉशरूम गई और वहां 40 मिनट तक बैठी रही. उन 9 दिनों के दौरान कुछ भी नहीं खाने के कारण, मेरे शरीर को शराब का तत्काल प्रभाव महसूस हुआ. वो मेरे सिर पर चढ़ गई और मुझे बहुत उल्टी हुई.

बॉलीवुड से दूर जाने का फैसला

ममता कहती हैं, ''यह सब 1996-97 में हुआ था.'' मेरे गुरु ने देखा कि मैं बॉलीवुड में रहकर ज्यादा समय तक साधना पथ पर नहीं टिक पाऊंगी. इसलिए उन्होंने मेरे लिए एक ऐसे स्थान पर तपस्या करने का आदेश दिया, जहां मैं 12 वर्षों तक किसी से नहीं मिल सकती थी.

महामंडलेश्वर पद और वहां से हटाया जाना

महाकुंभ के दौरान किन्नर अखाड़े ने ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर की पदवी दी, लेकिन वह इस पद पर केवल 7 दिनों तक ही रहीं. साधुओं द्वारा उनके चुनाव का विरोध करने के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था.बताया जा रहा है कि इस विवाद के पीछे किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास और आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का विवाद है. अजय दास ने त्रिपाठी को पद से हटाने की धमकी दी थी, जिसे त्रिपाठी ने नकार दिया.

इस झड़प के कारण मैदान में विवाद और बढ़ गया और अंततः ममता कुलकर्णी और त्रिपाठी दोनों को पद से हटा दिया गया.

2025-02-05T02:41:48Z