RAM LALLA SURYA TILAK : चार दर्पण और दो लेंस की मदद से गर्भगृह तक पहुंचाई गई सूर्य की किरणें, समझिए इसका पूरा साइंस

Ram Lalla Surya Tilak : राम नवमी के अवसर पर आज पूरे देश में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। इस बीच उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर में दोपहर के समय भगवान श्री राम का सूर्य तिलक किया गया। इसके तहत दर्पण और लेंस की मदद से सूर्य की किरणें राम लला के माथे पर पड़ीं। राम लला के सूर्य तिलक सेरेमनी में वैज्ञानिकों की एक टीम का अहम योगदान रहा। दोपहर 12:6 मिनट पर सूर्य की किरण राम लला के मस्तक पर पड़ी और यह करीब 4 मिनट तक नजर आती रही। बता दें कि सूर्य की पहली किरण से मंदिर का अभिषेक होना शुभ माना जाता है।

Ram Lalla Surya Tilak : वैज्ञानिकों की टीम का अहम योगदान

सूर्य तिलक सेरेमनी को वैज्ञानिकों की टीम ने मिलकर अंजाम दिया है। एस के पाणिग्रही के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने इसे डिजाइन किया था। CBRI के सीनियर साइटिंस्ट देबदत्त घोष ने कहा कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्जर्वेशन के आधार पर इनपुट दिए और "सूर्य तिलक" के लिए मैकेनिकल और स्ट्रक्चरल डिजाइन में भी योगदान दिया।

डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सचिव और आईआईटी बॉम्बे में डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में प्रोफेसर अभय करंदीकर ने विस्तार से इसके बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि कैसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स - डीएसटी के तहत एक ऑटोनॉमस बॉडी ने सुर्य तिलक सेरेमनी में अहम योगदान दिया।

तीसरे मंजिल से गर्भगृह तक कैसे पहुंची सूर्य की किरणें?

मंदिर की तीसरी मंजिल से गर्भगृह तक सूर्य की किरणों को पहुंचाने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने खास इंतजाम किया था। इसमें चार दर्पण और दो लेंस का इस्तेमाल किया गया। सूर्य तिलक के लिए ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम के बारे में बताते हुए पाणिग्रही ने कहा, ‘ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम में चार दर्पण और चार लेंस होते हैं जो झुकाव तंत्र और पाइपिंग सिस्टम के अंदर फिट होते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘दर्पण और लेंस के माध्‍यम से सूर्य की किरणों को गर्भगृह की ओर मोड़ने के लिए झुकाव तंत्र के लिए एपर्चर के साथ पूरा कवर शीर्ष मंजिल पर रखा गया है. अंतिम लेंस और दर्पण सूर्य की किरण को पूर्व की ओर मुख किये हुए श्रीराम के माथे पर केंद्रित करते हैं.’

उन्होंने कहा कि ‘झुकाव तंत्र का उपयोग प्रत्येक वर्ष श्रीराम नवमी पर सूर्य तिलक बनाने के लिए सूर्य की किरणों को उत्‍तर दिशा की ओर भेजने के लिए पहले दर्पण के झुकाव को समायोजित करने के लिए किया जाता है.’ पाणिग्रही के मुताबिक ‘सभी पाइपिंग और अन्य हिस्से पीतल सामग्री का उपयोग करके निर्मित किए जाते हैं. जिन दर्पणों और लेंसों का उपयोग किया जाता है वे बहुत उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं और लंबे समय तक चलने के लिए टिकाऊ होते हैं.’

सूर्य की किरणों को राम लला की मूर्ति तक पहुंचाने के लिए अष्टधातु के कई पाइप लगाए गए थे। भगवान के मस्तक पर पड़ने वाली किरणें गर्म ना हों, इसके लिए कई फिल्टर का इस्तेमाल किया गया है। ऑप्टो मैकेनिकल सिस्टम से सूर्य की किरणें भगवान की मूर्ति तक पहुंचाई गई।

IIA बेंगलुरु के नेतृत्व में टीम ने बड़ी जिम्मेदारियां निभाईं, जिसमें सूर्य की स्थिति की सटीक गणना, ऑप्टिकल सिस्टम का ऑप्टिमाइजेशन और साइट पर इंटीग्रेशन और अलाइनमेंट शामिल है। मंदिर के अंडर कंस्ट्रक्शन होने के बावजूद IIA के एक्सपर्ट्स ने मौजूदा स्ट्रक्चर के अनुरूप डिजाइन में बदलाव किया, जिससे सूर्य की किरणें राम लला के मस्तक पर बिना किसी रुकावट के पड़ सकीं। करंदीकर ने सूर्य तिलक में मदद करने वाले सन लाइट ट्रांसपोर्टेशन प्रिंसिपल को समझाते हुए एक उदाहरण भी दिया है। यह अनुष्ठान 17 अप्रैल 2024 को दोपहर 12 बजे, चैत्र माह में श्री राम नवमी के अवसर पर शुरू हुआ है।

2024-04-17T09:28:37Z dg43tfdfdgfd