PATNA NEWS: वफ़ा का दीप जलाना है क्या...

पटना ब्‍यूरो।

अमेठी से पधारी अखिल भारतीय मंचों की सुकंठी शायरा संदल अफऱोज़ ने जैसे ही यह शेर पढ़ा कि वफ़ा का दीप जलाना है क्या किया जाय ख़िलाफ़ सारा जमाना है क्या किया जाए.. बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में सैकड़ों हाथ खुले और तालियों की अनुगूंज से खचाखच भरा सभागार गूंज उठा. देश-विदेश के मंचों पर अपनी संजीदा शायरी से यश बटोर चुके कोटा, राजस्थान के शायर डा कुंवर जावेद, नवगीत के राष्ट्रीय हस्ताक्षर आज़मगढ़, उत्तरप्रदेश के कवि वैभव वर्मा, हास्य और व्यंग्य के शीर्षस्थ हस्ताक्षर वाराणसी के कवि डा चकाचौंध ज्ञानपुरी, बनारस के ही ख्यातिनाम हास्य-कवि विकास बौखल, धौलपुर, राजस्थान के गीति-हास्य-कवि रामबाबू सिकरवार, देवरिया के चर्चित कवि बादशाह प्रेमी और सतना सहित कई कवियों कविता पाठ की.

-तड़प है कि तलब है...

सम्मेलन के अध्यक्ष डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में यह राष्ट्रीय वसंतोत्सव कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसका उद्घाटन पटना उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और राज्य उपभो1ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार और डा सत्यजीत कुमार सिंह ने संयु1त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया. अपने अध्यक्षीय काव्य-पाठ में सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने अपनी गज़़ल, तड़प है कि तलब है कि जि़द है बाक़ी... यह दिल भी धड़कता है कि उम्मीद है बाक़ी के माध्यम से जि़न्दगी में उम्मीद रखने की हिमायत की. उन्होंने इस कवि सम्मेलन को एक यादगार और शानदार कवि-सम्मेलन बताया.सम्मेलन की उपाध्यक्ष डा मधु वर्मा, डा पूनम आनंद, आचार्य आनन्द किशोर शास्त्री, श्याम बिहारी प्रभाकर, डा शालिनी पाण्डेय, डा प्रतिभा रानी, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे.

2025-03-12T15:14:24Z